सैफई के मुलायम यादव का समाजवादी परिवार
इटावा के छोटे से गांव सैफई से निकलकर अपनी मेहनत से समाजवादी राजनीति को सींचने वाले मुलायम सिंह यादव अब गोलोकवासी हो चुके हैं। देश के रक्षा मंत्री से लेकर यूपी के मुख्यमंत्री तक की कुर्सी संभालने वाले मुलायम परिवार की अगली पीढ़ी राजनीति में जड़ें मजबूत जमा चुकी हैं।
मैनपुरी से विरासत संभाल रही हैं बहू डिंपल
मैनपुरी की बहू और अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव को मैनपुरी लोकसभा से टिकट मिला है। मुलायम के निधन के बाद उपचुनाव में मैनपुरी जीतने वाली डिंपल एक बार फिर से चुनावी रण में उतर चुकी हैं। ससुर मुलायम के आशीर्वाद की बात करते हुए वह नामांकन कर चुकी हैं। उनका मुकाबला बीजेपी के ठाकुर जयवीर सिंह से है। डिंपल के सामने 28 साल से सपा के गढ़ को बचाने की चुनौती है।
आजमगढ़ से भतीजे धर्मेंद्र उतरे मैदान में
मुलायम के भतीजे धर्मेंद्र यादव एक बार फिर से आजमगढ़ लोकसभा पर दांव आजमा रहे हैं। 2019 में यहां से अखिलेश यादव जीतकर आए थे। बाद में विधानसभा चुनाव जीतकर उन्होंने सीट छोड़ी तो उपचुनाव हुआ, जिसमें भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ सांसद बन गए। धर्मेंद्र यादव पिछली हार को भुलाकर इस बार फिर ताकत भिड़ा रहे हैं।
फिरोजाबाद सीट से अक्षय यादव पर दांव
अखिलेश यादव ने अपने चचेरे भाई और रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव को उत्तर प्रदेश की फिरोजाबाद लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है। अक्षय यादव के खिलाफ भाजपा ने ठाकुर विश्वदीप सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है। भाजपा ने अपने सिटिंग सांसद का टिकट काटकर ठाकुर विश्वदीप को फिरोजाबाद लोकसभा सीट का प्रत्याशी बनाया है। अक्षय पहले सांसद रह चुके हैं।
कन्नौज लोकसभा से बड़े भाई के नाती तेज प्रताप
कन्नौज लोकसभा सीट से अखिलेश यादव ने अपने भतीजे और मुलायम के नाती तेज प्रताप यादव को टिकट दिया है। तेज प्रताप यादव के पिता रणवीर सिंह यादव का 36 साल की उम्र में ही निधन हो गया था। वह राजनीति में सक्रिय थे और ब्लॉक प्रमुख भी रहे। तेज की शादी बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव की बेटी राजलक्ष्मी से हुई है। तेज का मुकाबला बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक से है।
बदायूं से आदित्य यादव का सियासी आगाज
इस लोकसभा चुनाव से शिवपाल यादव के बेटे आदित्य की भी सियासी एंट्री हो रही है। माथापच्ची के बाद बदायूं सीट से आदित्य यादव को टिकट मिला है। पहले यहां से धर्मेंद्र, फिर शिवपाल और फिर आदित्य का नाम फाइनल हुआ। बीजेपी से दुर्विजय सिंह शाक्य से उनका मुकाबला है।
अखिलेश ने बनाई लोकसभा से रणनीतिक दूरी
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इस बार लोकसभा चुनाव में नहीं उतरने का फैसला किया है। 24 साल के राजनीतिक करियर में यह दूसरी बार है, जब वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। सपा के रणनीतिकारों का कहना है कि चुनाव प्रचार पर पूरी तरह फोकस करने के लिए अखिलेश ने खुद को उम्मीदवारी से दूर किया है। पहले उनके कन्नौज से लड़ने की चर्चा चल रही थी।
शिवपाल ने कराई बेटे की राजनीतिक एंट्री
मुलायम के छोटे भाई शिवपाल यादव अभी जसवंतनगर सीट से विधायक हैं। उनके सांसदी लड़ने की चर्चा जोरों पर चल रही थी। लेकिन उन्होंने बदायूं लोकसभा सीट अपने बेटे आदित्य के लिए छोड़ दी। वह लोकसभा में समाजवादी पार्टी के प्रचार के साथ ही बदायूं से बेटे को जीत दिलाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं।
चाचा रामगोपाल भी हैं राज्यसभा सांसद
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव रिश्ते में मुलायम के चचेरे भाई लगते हैं। लेकिन शुरू से ही वह सपा के प्रोफेसर साहब रहे हैं। राज्यसभा में सांसद रामगोपाल के बेटे अक्षय इस बार चुनावी मैदान में हैं।
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